आईने के सामने
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भाषण से मिलता है राशन, भाषण से रोजगार
भाषण सुन सुन कर जनता, सहती अत्याचार
आरोप और आंकड़ो में फँसकर, घनचक्कर है जनता
सबकी अपनी राय तो है पर, आम राय नहीं बनता
पक्ष- विपक्ष दिखाते केवल, बातों में ही चुस्ती
जनता की चिंता किसको है, लड़ते नूरा-कुस्ती
कुछ ना कुछ होगा अबकी, जनता को ये आशा
पब्लिक बजा रही ताली बस, नेता करें तमाशा
एयरकंडीशन में बैठ कर, याद गरीब की आई
वाक्युद्ध से घटा रहे हैं, कागज में मंहगाई
ज्यादा भ्रष्ट कौन है? इस पर होती रोज लड़ाई
रोज नए मुद्दे के साथ ही, होती हाथा-पाई
बार बार ही चढ़ा रहे हैं, नेता काठ की हाण्डी
नए- नए रंगों में दिखती, रोज नयी नौटंकी
from : manojjohny.com
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