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भ्रष्टाचार सुख का आधार। सदाचार, जीवन का बंटाधार।

आईने के सामने
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खाने मे अचार, गरीबी में रोजगार, मजबूरी में सरकार, बुढ़ापे में हरिद्वार, तथा जीवन में भ्रष्टाचार, सुख का आधार होता है। बाबा बुद्ध ने जीवन भर कठिन तपस्या करके पता लगाया था कि तृष्णा सभी दुखों का कारण है। लेकिन आज का बच्चा भी जानता है की भ्रष्टाचार सभी दुखों का निवारण है।

कुछ अज्ञानी लोग कहते हैं कि भ्रष्टाचार समाज के लिए कलंक है, कोढ़ है। लेकिन उनको पता नहीं कि शेक्सपियर जी ने कहा था कि दुनिया में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता है, बल्कि हमारी सोच उसे वैसा बना देती है। अब देखिये किसी शायर ने कहा है कि- लीक लीक गाड़ी चले, लीक हिं लीक कपूत। लीक छांड़ी तीनई चलें, शायर, सिंह, सपूत। अगर इसको आज के दौर में इस तरह कहें कि- सब कपूत लीक हि चलें, केवल तीन ई छांड़ी। तीन सपूत बस देश में, कनिमोझी, राजा, कलमाड़ी। लीक से हटकर चलने वाले सपूतों को तो भारतरत्न देना चाहिए।

भ्रष्टाचार अच्छा या बुरा नहीं होता है बल्कि हमारी सोच अच्छी या बुरी होती है। मतलब यदि आपने भ्रष्टाचार से कमाया तो अच्छा। और अगर भ्रष्टाचार से गंवाया तो बुरा। भ्रष्टाचार कि महिमा बहुत ब्यापक है। केवल भ्रष्टाचारी ही नहीं, सदाचारी और दुराचारी भी इसके गुण गाते हैं। भ्रष्टाचार की अनेक किस्में हमारे देश में पायी जाती हैं। वैसे भी हमारा देश कभी कृषि प्रधान रहा होगा, पर आजकल, भ्रष्टाचार प्रधान हो गया है। देसी से लेकर विदेशी किस्म के भ्रष्टाचार हमारे देश में बहुतायत में पाये जाते हैं।

लोगों का रवैया भ्रष्टाचार के लिए हमेशा से दोगला रहा है। जनता भ्रष्टाचार करे, तो उसे मजबूरी कहते है। नेता, अफसर, भ्रष्टाचार करें तो उसे घूसख़ोरी कहते हैं। मंदिर में भगवान से काम कराने के लिए, गुप्तदान करो तो सदाचार है। अफसर, नेता से काम कराने के लिए धन दान करो तो भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार तो एसी वर्जित प्रिय चीज है, जिसे सब करना चाहते हैं, मगर अपने हिसाब से।

भ्रष्टाचार से इस देश को कितने फायदे हुये हैं, कभी मूर्ख जनता ने सोचा ही नहीं। पैदा होने से लेकर मरने तक, भ्रष्टाचार हमारी कितनी मदद करता है, जरा एक बार सोचिए तो सही। बच्चा पैदा करने के लिए, अगर सरकारी अस्पताल ठीक हों, तो प्राइवेट अस्पताल बेचारे क्या करेंगे? सरकारी अस्पतालों का भ्रष्टाचार, कितने डाक्टरों और नर्सों को रोजगार देता है, इसका कोई हिसाब नहीं।

बच्चों के स्कूल एडमिसन में अगर भ्रष्टाचार ना हो, तो क्या पैसे वालों को मनमाफिक स्कूल में एडमिसन हो पाएगा। और सभी रिक्शे तांगे वाले अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों में नहीं पढ़ाने लगेंगे। गरीबों कि बात करके मै देश के ग्रोथ को डाउन नहीं करना चाहता। इसके अलावा अगर परीक्षाओं में भ्रष्टाचार ना हो तो क्या आप अपने सपूतों को मनमाफिक नंबर दिलवा पाएंगे?

शादी ब्याह में अगर भ्रष्टाचार ना हो, तो क्या दूल्हे को मनपसंद गाड़ी, टीवी, फ्रिज मिलेगा? अगर हमारे देश के लोग भ्रष्टाचार करके काला पैसा ना जमा करे होते, तो विश्व कि आर्थिक मंदी में क्या हमारे देश कि अर्थब्यवस्था स्थिर रह पाती? जीवन के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार ने हमें कितना सहारा दिया है। हमने कभी हिसाब ही नहीं लगाया।

सोचिए अगर भ्रष्टाचार नहीं होता तो सरकार कि योजनाओं से एक दो साल में ही जनता का पेट भर जाता। और वह सरकार से कुछ और मांगने लगती। वह तो बेचारा भ्रष्टाचार है, जिसने गरीब को गरीब ही बना रखा है, और वह अपनी रोटी के जुगाड़ में ही लगा रहता है, नहीं तो सरकार की स्थिरता को खतरा हो जाएगा। और अगर जनता का पेट भर गया तो सरकार क्या पाँच साल तक झख मारेगी। नहीं तो भ्रष्टाचार ने ही सबको रोजगार दे रखा है, जनता को भी और सरकार को भी। देश की बहुत बड़ी समस्या रोजगार का हल है भ्रष्टाचार। जिसने भ्रष्टाचार का सुख भोगा है वही जानता है। हमारे एक नेता ने क्या खूब कहा है कि- पैसा कोई खुदा तो नहीं, मगर खुदा कसम उससे कम भी नहीं। इसीलिए मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार सुख का आधार। सदाचार, जीवन का बंटाधार।  manojjohny.com

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