आईने के सामने
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इस मुल्क में, ईमान का दीदार कब होगा।
जिसने किया गुनाह, गुनहगार कब होगा।
जनता नहीं समझती, क्या चाल सियासी
लोगों को सियासत पे, एतबार कब होगा।
भ्रष्टों के हाथ तोप है, तलवार है खंजर भी
इंसाफ के भी हाथ में, तलवार कब होगा।
पैसे पे मरने वाले, देखे हैं सब सनम
दिल पे मरे जो एसा, दिलदार कब होगा।
बैठे हुये हैं जब यहाँ, हर साख पे उल्लू
तो कोयलों से बाग ये, गुलजार कब होगा।
धोखा, फरेब, लालच, मे डूबे सभी ‘जानी’
इंसान को इंसानियत से, प्यार कब होगा।
@ manojjohny.com
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