आईने के सामने
- 74 Posts
- 227 Comments
फिर एक बम फूटा है।
फिर कुछ चीखें निकली हैं,
फिर कुछ लाशें, फिर कुछ घायल
फिर से बहाने, वही तराने, अब तक जो की झूठा है।
फिर एक बम फूटा है।
नेताओं की वही सियासत,
हिन्दू- मुस्लिम ध्रुवीकरण
तू तू मै मै के शोर में, असली मुद्दा छूटा है।
फिर एक बम फूटा है।
राजनीति की मार सह रहा,
लोकतन्त्र की चक्की में,
पिसकर भी जीने का हौसला, नहीं अभी तह टूटा है।
फिर एक बम फूटा है।
मनोजजानी @
Read Comments