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रावण रथी विरथ रघुवीरा

आईने के सामने
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यों तो हमारे देश में बीमारियों की कोई कमी नहीं हे। न पहले न अब! लेकिन आजकल कुछ नई किस्म की संक्रामक बीमारियां हमारे देश के नेताओं, समाज सेवियों को लग गयी हैं। वैसे तो प्राय: सभी नेताओं में, वादे करने के, घोषणा करने के, घोटालो या भ्रस्टाचार की बीमारियां जन्मजात होती हैं, क्योंकि आजकल नेता ही जन्मजात होते हैं। कोई नेतृत्व करके नेता नही बनता बल्कि अपने पूर्वज नेताओं के कारण नेता बनता हैं।

हाँ, तो आजकल जो मुख्य संक्रामक बीमारियाँ नेताओं को, देश या समाज सेवकों को लगी हुईं हैं, उनमें पहली हैं रथ यात्रा । गरीबचंद नें जब से आडवाणी की रथ यात्रा के बारे में सुना है, बहुत परेशान हैं। सुबह-सुबह मुझसे टकरा गए, और छूटते ही अपना प्रश्न दाग दिया। आडवाणी जी बार-बार रथ यात्रा ही क्यों करते हैं।? पदयात्रा या रेल यात्रा  क्यों नहीं करतें। ?

मैंने उन्हे समझते हुये कहा, भई ये तो बहुत ही आसान सी बात हैं, अब पदयात्रा तो गांधी जी करते थे, वो ठहरे कांग्रेसी । फिर कांग्रेसियों की नकल कैसी? ऊपर से यह कितना ओल्ड फैशन है। हमारे आडवाणी जैसे चौरासी वर्षीय जवान को यह ओल्ड फैशन शूट नहीं करता।

गरीबचन्द जी और परेशान हो गये। बोले, ‘तो फिर रेलयात्रा क्यों नहीं करते?’मैने समझाया, भई रेल में टिकट कन्फर्म हो या वेटिंग रह जाए क्या भरोसा? बेचारे आडवाणी जी पिछले दस साल से, पीएम इन वेटिंग तो हैं ही, और रेल में भी वेटिंग टिकट मिला तो ? ऊपर से भारतीय रेल का क्या भरोसा? कब किसको रेल दे। भई रेल भी कोई यात्रा  करने की चीज हैं।

गरीबचन्द को शायद समझ आ गया था कि पदयात्रा और रेलयात्रा  नहीं करनी चाहिए। इसलिए रथयात्रा के बारें में ही पूछने लगे। बोले, रथ तो राजाओं-महाराजाऑ के पास होता था, आडवाणी जी के पास कहाँ से आया।? मैने उनका ज्ञान बढ़ाने के लिए बताना शुरू किया- भई गरीबचन्द जी, आज के नेता कौन से राजाओं-महाराजाओं से कम हैं? बेचारे राजाओं के पास तो

घोड़ो-गधों वाला रथ होता था, जिसके ऊपर छतरी लगाकर धूप से बचते थे। आज का रथ, टोयोटा या मित्सुबीसी कंपनी का फुल एअर कंडीशन, शयनकक्ष तथा शौचालय से लैस होता हैं।

गरीबचंद चौंकते हुए बोले, एसा भी कोई रथ होता हैं क्या? मैंने समझाया- भाई आजकल का रथ सभी सुख सुविधाओं  से लैस होता हैं। यात्रा करने पर जरा भी कष्ट नहीं उठाना पड़ता। गरीब चन्द की जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी –अगला प्रश्न दाग दिया- इस रथ यात्रा से होगा क्या? क्यों कर रहे हें रथ यात्रा? मैने समझाने के अंदाज में कहा । भाई इस रथ यात्रा से भ्रष्टाचार रूपी रावण का अन्त होगा। लोगों को जागरूक किया जाएगा कि भ्रष्टचार मत करो।

गरीब चन्द थोड़ा कंफ्यूज हो गये, आखिर आम आदमी ठहरे। हर बात में कंफ्यूज रहता हैं। पूछने लगें, ‘तो क्या आडवाणी जी भगवान राम की तरह, भ्रष्टाचार रूपी रावण का खात्मा कर देगें?  मैने कहा-हाँ भई हाँ । आखिर उन्होने नोट के बदले वोट काण्ड करके भ्रष्टाचार, के  खात्में   की शुरुआत कर भी दी है। अब तो भ्रष्टाचार के रावण का खात्मा भी तय ही समझों।

अब तो गरीब चन्द  के समझाने की बारी थी । वह बोले, ‘भई रावण को मारने के लिए इतने तामझाम की जरूरत नहीं होती। तामझाम तो बुरे लोगों द्वारा अपनाया जाता  हैं। क्या आप नहीं जानते कि रावण से लड़ाई राम ने पैद्ल ही लड़ी थी। रथ तो रावण के पास था । राम तो अपने धर्म का रथ ही हाँकते  थे। क्या आपने राम-चरित मानस पढ़ा हैं, उसमें-“रावण रथी, विरथ रघुवीरा” कहा गया है। पहली बार मुझे अपनी अज्ञानता और गरीब चन्द के ज्ञान के आगे निरुत्तर हो जाना पड़ा।

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