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मजा लेना सबकी किस्मत में कहाँ होता है? मजा चाहे प्यार का हो, या इंतजार का हो। बड़ी किस्मत वालों को मिलता है। हमारे देश के आम आदमी बड़े किस्मत वाले हैं। उन्हें बहुत तरह के मजे बिलकुल मुफ्त में मिलते हैं, सरकारी सब्सिडी के साथ। उसके लिए गरीबी रेखा के नीचे का प्रमाणपत्र भी नहीं चाहिए होता। हालत यह है कि आम आदमी, मजे लेने का आदी हो चुका है। वह हर चीज का मजा ले लेता है, वो भी बिलकुल मुफ्त। कहीं भी अनशन, उपवास देखता है, मजा लेने पहुँच जाता है। मामूली बातों में मजमा लगाने में भी उसे मजा आता है।
मजे भी दुनिया में तरह तरह के होते हैं। कुछ लोग प्यार का मजा लेते हैं। तो कुछ तकरार का । कुछ तो दुत्कार का भी मजा ले लेते हैं। कुछ लोग इंतजार का मजा लेते हैं तो कुछ, सरकार का मजा लेते हैं। सरकार के मजे तो खैर सरकार चलाने वाले जाने। आम लोग मुफ्त के मजे किस किस तरह से लेते हैं, हम केवल उनकी ही बात करते हैं।
जनता सबसे ज्यादा जो मजा लेती है, वो है इंतजार का मजा। वह महंगाई कम होने के इंतजार का मजा पिछले दो साल से ले रही है। पिछले दो साल से सरकार एक दो महीने में महंगाई घटने का दावा कर रही है। जनता पिछले दो साल से इसी इंतजार का मजा ले रही है कि कब महंगाई कम हो। जनता के इंतजार के मजे को और बढ़ाने के लिए सरकार, हर महीने कलेजे पर पत्थर रखकर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ा देती है। जिससे कि जनता के इंतजार के मजे को और बढ़ाया जा सके।
जनता जिस चीज के इंतजार का मजा पिछले चालीस साल से ले रही है, वह है लोकपाल बिल पास होने का। इस बार तो शायद यह खतम भी हो गया होता, लेकिन भला हो अन्ना जी का। जिन्होने ‘जन’ और जोड़कर लोकपाल के इंतजार के मजे को और बढ़ा दिया। उन्होने, मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहौं, कि तर्ज पर जनलोकपाल मांग लिया। अब सरकार कहाँ से चन्द्र खिलौना लाये। सो जनता फिर से इंतजार के मजे में डूब गयी है।
एक और मजा जो पिछले तीस चालीस सालों से जनता ले रही है, वह है गरीबी हटने के इंतजार का। दसियों सरकारें आयी गयी। पर क्या मजाल कि जनता के, गरीबी उन्मूलन के इंतजार, के मजे में जरा भी कमी आयी हो। चालीस सालों से जनता गरीबी हटने के इंतजार का निर्बाध रूप से मजा ले रही है।
एसा नहीं है कि जनता सिर्फ सरकार के दिये इंतजार का ही मजा लेती है। बल्कि जो उसे खुद करने हैं, उसके इंतजार का भी मजा ले रही है। कितने वर्षों से दहेज ना देने, ना लेने का इंतजार कर रही है। भ्रष्टाचार समाप्त करने का इंतजार कर रही है। अपनी हर ज़िम्मेदारी निभाने का इंतजार कर रही है। सब कुछ भगवान भरोसे होने का इंतजार कर रही है।
जनता और बहुत से मजे, इंतजार के अलावा भी ले रही है। जैसे गरीबी के मजे। बत्तीस रुपये में छप्पन भोग के मजे। गरीबी रेखा के ऊपर नीचे होने के मजे। भूखे पेट सोने के मजे। बेरोजगारी आदि के मजे छक कर ले रही है। बाकी जनता क्या क्या मजे ले रही है, इससे सरकार तो मजे लेती ही रहती है, आप तो केवल पढ़ने के मजे लीजिये।
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