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जनता का बढ़े खर्च, सरकार करे रिसर्च

आईने के सामने
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क्या आप जानते हैं की हमारे देश में, सबसे ज्यादा शोध (रिसर्च)  कहाँ होते हैं और कौन करता है? नहीं ना! वैसे तो हमारे देश में विभिन्न प्रकार के शोध संस्थान मौजूद हैं, लेकिन मैंने ये रिसर्च किया है कि वे सब तो बस दिखावा है। असली रिसर्च तो हमारी सरकार और सरकार के लोग करते हैं। मंत्री, नेता, अफसर सभी महान रिसर्चर होते हैं। उनके रिसर्च के आगे, आई आई टी और आई आई एम का रिसर्च तो पानी भरता है।

पेश है कुछ ज्ञान-परक रिसर्च, जो सरकार ने या उसके नुमाइंदों ने खून पसीना (?) बहाकर तैयार किया है। जनहित के लिए इन शोधों को सरकार के विभिन्न मंत्रियों और विभागों द्वारा जनता के बीच लाया गया है। पहला रिसर्च तो यही है कि आई आई टी का रिसर्च किसी स्तर का नहीं है। यह रिसर्च सरकार के एक मंत्री ने बहुत रिसर्च के बाद प्रकाशित किया।

सरकार का रिसर्च के लिए सबसे पसंदीदा विषय है, महंगाई। सरकार के लगभग सभी विभागों और मंत्रियों ने इस पर नाना प्रकार के शोध किए हैं। सबसे पहला शोध दो साल पहले हमारे कृषि मंत्री जी ने किया था। उन्होने शोध करके यह पता लगाया था कि महंगाई बढ़ने का कारण मानसून खराब होना था, और दो तीन महीनों में महंगाई घट जानी थी। लेकिन तीन चार महीने बाद भी महंगाई ना घटने पर उन्होने एक नया शोध जारी किया। जिसके अनुसार महंगाई बढ़ने का कारण किसानों को अनाज का मूल्य ज्यादा देना बताया गया।

हालांकि इसके उलट भारत सरकार ने शोध करके महंगाई बढ़ने का राज पता लगाया। जिसके अनुसार, महंगाई इसलिए बढ़ी, क्योंकि जनता आजकल ज्यादा खाने लगी है। जनता अब हर दिन भोजन चाहती है। इसलिए खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े। इसी बात को आगे बढ़ाते हुये हमारे योजना आयोग ने भी एक रिसर्च प्रकाशित किया। जिसके अनुसार प्रतिदिन 32 रुपये खर्चने वाला अमीर होता है। और अमीर कोई सस्ती या बेकार चीज तो प्रयोग नहीं करेगा। अमीर जो भी खरीदेगा यदि वह महंगा नहीं होगा तो उसका स्टेटस गिर जाएगा। सरकार ने इन बत्तीस टके अमीरों का स्टेटस ऊपर उठाने के लिए ही महंगाई बढ़ा रखी है। इससे कुछ बत्तीस टके अमीर तो स्टेटस के साथ साथ खुद भी ऊपर उठ रहे है।

वह तो कुछ भारत विरोधी लोग हैं, जो भारत को अमीर होते देखना नहीं चाहते। उन्होने योजना आयोग के इस शोध पर खूब हाय तौबा मचाई है। और बत्तीस टके अमीरों को गरीबी रेखा के नीचे धकेलने के षडयंत्र में लगे हुये हैं।

इसी बीच सरकार ने बिलकुल ताजा-ताजा नया शोध, महंगाई बढ़ने के बारे में जारी किया है। इस शोध के अनुसार, महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण है, जनता द्वारा दशहरा, दीपावली जैसे त्योहार मनाना। इन त्योहारों में जनता इतना खाती पीती है कि महंगाई अपने आप बढ़ जाती है।

अब आप सोच रहे होंगे कि, जब सरकार ने महंगाई बढ़ने के कारणों पर इतना शोध (रिसर्च) किया है, तो उसके हल के बारे में कोई शोध क्यों नहीं किया? तो आप को महंगाई से निपटने वाले सरकार के शोध के बारे में बता ही देते हैं। सरकार ने रिसर्च करके महंगाई से निपटने का यह समाधान निकाला है कि, जनता को अधिक से अधिक ब्रत और भूंखे रहने वाले त्योहार मनाना चाहिए। इससे एक तो जनता का स्वास्थ्य सुधरेगा, दूसरे इससे महंगाई कंट्रोल होगी।

वैसे तो सरकार ने औपचारिक रूप से कोई रिसर्च मंत्रालय नहीं खोला है, लेकिन अनौपचारिक रूप से श्री दिग्विजय सिंह जी सरकारी रिसर्च मंत्री हैं। जो कि बाबा रामदेव, आर एस एस, भाजपा, अन्ना हज़ारे और उनकी टीम के बारे में प्रतिदिन एक नया शोध लेकर जनता के सामने आते रहते हैं। जब तक सरकार का कोई नया शोध नहीं आता, आप इस पर शोध करिये कि- जनता का बढ़े खर्च, सरकार करे रिसर्च।

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