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कोहरे के फ़ायदे !!!

आईने के सामने
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आजकल कोहरे की चादर हर तरफ़ फ़ैली है। कोहरे ने जो चिलचिलाती ठण्ड़ भड़काई है, कि बूढों के निकालकर रखे हुये नकली दांत भी कड़कड़ाने लगे। ठण्ड़ के बरदान से लोग हिमेश रेशमिया की तरह नाक का प्रयोग कर रहे हैं। कोहरे ने आदमी की स्पीड़ कम कर दी है। महाभारत के संजय को धृतराष्ट्र बना दिया है। कोहरे का कार्यक्षेत्र बहुत ब्यापक है। इसका सबसे ज्यादा असर तो राजनीति पर दिखता है। कब किसकी सरकार बन जाये या गिर जाये कुछ पता नहीं रहता है। कब वामपंथी समर्थन वापस ले लें, कब समर्थन दे दें, सब पर कुहरा छाया रहता है। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती पर तो हमेशा ही कुहरा छाया रहता है। पेट्रोल के दामों पर भी हमेशा ही कुहरा छाया रहता है। लोकपाल बिल पर तो सालों से कुहरा छाया हुआ है।

आतंकवाद के साये में देश की जनता के जीवन पर कुहरा छाया ही रहता है। शेयर बाजार के कुहरे के बारे में तो कुछ कहना ही नहीं। कुछ भी स्पष्ट नहीं रहता। कभी धड़ाम से औंधे मुंह गिर जाता है, तो कभी कुलांचे मारने लगता है। वैसे लोग चाहे जो कहें, कोहरे से लोगों को, समाज और देश को बहुत फ़ायदा हो रहा है।

सबसे आम फ़ायदा जो हो रहा है, वह है, बसों, ट्रेनों और प्लेनों के लेट होने का। इनके लेट होने से आप आराम से, इत्मीनान से, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्ड़े पर जा सकते हैं। उनके छूटने की कोई चिंता नहीं रहती है। आप चाहे जितनी देर में तैयार हों, आप को लिये बगैर ट्रेनें, बसे या प्लेन चली जायें, कोहरे के होते हुये एसा सम्भव ही नहीं है। जो बस यात्री होते हैं,उनको कभी कोई जल्दी नहीं होती। एक यात्री बस में चढेगा तो ड्राइवर से बोलेगा जरा एक मिनट रुकना मेरा दोस्त, पान या सिगरेट लेने गया है। अब कोहरा होने से पान खाने या सिगरेट पीने का टाइम आराम से मिल जाता है।

जो रेल यात्री होते हैं, वह तो बाकायदा – “रेल आपकी संपत्ति है”, में विश्वास करते हैं। इसलिये जिन यात्रियों का घर स्टेशनों के बींच में आता है, वह रेलवे को अपनी संपत्ति समझ कर, अपने घर के पास चेन खींचकर रोक देते हैं। वैसे भी चेन खींचना कानूनन जुर्म है। अब कोहरे से ट्रेनें इतनी धीमी चलेंगी कि चेन खींचने की जरूरत ही नहीं रह जायेगी। इससे आप एक अपराध करने से बच जायेंगें। कोहरे से केवल यात्री ही नहीं रेल विभाग भी खुश है। उसे ट्रेने लेट होने का कोई बहाना जो नही ढूढना पड़ता।

जो हवाई जहाज के यात्री हैं, प्लेन लेट होने से उन्हें, फ्री का खाना पीना और रेस्ट के लिये होटल मिल जाता है। जितना ही प्लेन लेट होगा उतना ही यात्री मुआवजा अधिक ले सकते हैं। सरकारी विमान कम्पनियां भी खुश हैं। क्योंकि अब वह कह सकतीं हैं कि केवल सरकारी विमान ही लेट नहीं होते बल्कि प्राइवेट भी लेट होते हैं। यह कोहरे का ही कमाल है कि सरकारी और प्राइवेट कम्पनियों को एक बराबर कर दिया है।

कोहरे का सबसे ज्यादा फ़ायदा तो पुरूषों को होता है। क्योंकि कोहरे के कारण बीबियां शापिंग करने घर के बाहर तो जा नहीं पायेगीं। इससे पुरूषों की जेब हल्की होने से बच जायेगी। इसके अलावा बाहर घुमाने फि़राने, खिलाने पिलाने से भी, कोहरे की दया से बचाव हो जाता है। इतना ही नहीं पुरूषों के लिये कोहरा तो एक बरदान है। अब पुरूष काम या आफि़स के बहाने घर से बाहर तो जायेंगे ही। कोहरे में किसी लड़की या औरत के साथ छेड़ छाड़ का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं। अगर दो चार चप्पल लग भी गयी, तो कोहरे में देखेगा कौन? कोहरे का फ़ायदा तो हमारे एक ऋषि भी उठा चुके हैं, तो फि़र उनके वंशज हम लोग क्यों नहीं ।

कोहरे की ठण्ड़ से घर में भी माहौल काफ़ी प्रेममय हो जाता है। मियां बीबी रजाई के चक्कर में ही सही एक दूसरे के पास आ जाते हैं। उसके बाद के चक्कर में न पड़कर, मैं तो केवल इतना ही कहूंगा, कि सैंया और रजइया पर जितना भी साहित्यिक शोध हुआ है, सब कोहरे की ठण्ड़ से ही संभव हुआ है।

कोहरे से काफ़ी बचत भी होती है। कोहरे से जब पारा गिर जाता, तो पंखे- कूलर आदि का खर्च खतम हो जाता है। केवल एक रजाई से ही सालों तक बिना मासिक बिल के काम चलाया जा सकता है। कोहरे से कुटीर उद्योग को बढावा मिलता है, और बेरोजगारी कम होती है। जितनी ठण्ड़ बढती है, अण्ड़ों, मुर्गियों, बकरों की मांग उतनी ही बढ जाती है। देशी और अंग्रेजी दोनों दारुओं की मांग बढ जाती है । जिससे टैक्स के रूप में सरकार का भी खूब फ़ायदा होता है।

अधिक कोहरा होने से स्कूलों की भी छुट्टी हो जाती है, और बच्चों और अध्यापकों की भी बल्ले बल्ले हो जाती है। इसके अलावा सड़कों के किनारे ढाबों पर काम करने वाले गरीब मजदूरों को भी आराम मिल जाता है। वैसे जहां दिन तो क्या यात्रियों के कारण रात को भी आराम नहीं मिलता था, वहां अब रात तो क्या दिन में भी आराम ही आराम है।

कोहरे की ठण्ड़ से सबसे ज्यादा फ़ायदा सरकारी अफ़सरों का होता है। सरकार गरीबों को कम्बल बांटने के लिये करोड़ों रूपया देती है। जिससे उनकी अपनी गरीबी दूर होने में बड़ी मदद मिलती है। सरकार सड़कों के किनारे अलाव जलाने के लिये लाखों खर्च करती है। पैसा फ़ूंककर भी लोगों को “ठण्ड़ा” होने से नहीं बचाया जा सका है। कोहरे की मेहरबानी से, अफ़सरों की गरीबी की धुन्ध जरूर छंट जाती है।

आजकल इस ठण्ड़ में चुनाव की गर्मी भी मिल गयी है। चुनाव रैलियों में आजकल कोई आता तो है नहीं। लेकिन कोहरे की दया से हमारे देशभक्त जी की सभा में आदमियों का सैलाब उमड़ पड़ा। वह भी नेता जी की लोकप्रियता से नहीं, बल्कि उस रैली में छपे पोस्टरों और कुहरे की माया से। हुआ यह कि रैली के लिये जो पोस्टर छपे थे उस पर लिखा था कि- “भाइयों एवं  बहनो ! आपके लोकप्रिय नेता फ़लाने आ रहे हैं। आप सब अवश्य पधारिये । ठण्ड़ की चिंता ना कीजिये। आप सबको गरम करने के लिये लकडि़यों की ब्यवस्था है।” पोस्टर ऊपर टंगे होने और कोहरे की धुंध में, किसी ने “लकडि़यों ” को “लड़कियों ” पढ लिया था। कोहरे का इससे ज्यादा फ़ायदा और क्या होगा ?

@ manojjohny.com से

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