आईने के सामने
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चल रही बहार चुनावों की
हो रही सभाए ठाँव –ठाँव
एअर कंडीशन गाड़ी मे
नेता जी घूमते गाँव –गाँव
भाषण देते थे जगह –जगह
हे कृषक देवता उठो –उठो
विकसित करने हित वतन सभी
तन–मन–धन से, अब जुटो–जुटो
ग्रामीणों का दिल हरने को
नेता जी आए एक खेत
रुमाल नाक पर लगा लिए
खेतों की वो गंदगी देख
गोबर की खाद खेत में थी
नेताजी को बदबू आयी
गंदगी देख कर खेतों की
चिन्ता की लकीरें खींच आयी
बोले हम दर्द समझते हैं,
हम भी किसान के बेटे हैं
हम भी मिट्टी में खेले हैं
हम भी धरती पर लेटे हैं
हमको प्राणों से प्यारी है
इस मिट्टी की सोंधी खुशबू
लेकिन क्यूँ आज आ रही है
इन खेतों से इतनी बदबू
हमें जिताओ अगर भाइयो
दे करके अपना मतदान
शुरू करेंगे तुरत देखना
खेत सफाई जा अभियान
“जानी” परेशान तूँ, क्यूँ है ?
आज की हालत देख के भाई !
जाके पैर न फटी बेवाई
वही जनता पीर पराई ।
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