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वादे हैं वादों का क्या? (ब्यंग)

आईने के सामने
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दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वह जो कि वादा करते हैं । दूसरे वह जो वादा सुनते हैं या वादे पर भरोसा करते हैं। वैसे दोनों लोग मजबूर होते हैं। वादा करने वाले की वादा करना मजबूरी होती है, तो सुनने वालों की सुनना। अब कोई प्रेमी चांद तारे तोडने का वादा करता है तो यह उसकी मजबूरी होती है। क्योंकि वह वादे से ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। प्रेमिका की भी वादा सुनने की मजबूरी होती है। क्योंकि अगर वह प्रेमी को चांद तारे तोडने भेज देगी, तो एक फ़ंसा हुआ मुर्गा उसके हाथ से निकल जायेगा। लेकिन दोनों जानते हैं कि वादा सिर्फ़ करने के लिये होता है।

लेकिन आजकल टीम अन्ना कांग्रेस पर वादा तोडने का आरोप लगा रही है। अब टीम अन्ना को कौन समझाये कि वादा ही क्या जो निभाया जाये। कसमें, वादे . . .सब बाते हैं बातों का क्या? वादे तो होते ही हैं मूर्ख बनाने के लिये।  लेकिन भाजपा ने देश वासियों से जो वादे किये थे, उसे बहुत इमानदारी से निभाया।

भय, भूख और भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया था। सरकार बनने पर आतंकवादियों का भय मिटा दिया। वे बेफि़क्र होकर संसद, अक्षरधाम पर हमले करने लगे। नेताओं की भूख मिटाने के लिये बहुत से मंत्री बनाये। भ्रष्टाचार कम करने के लिये अपने लोगों को पेट्रोल पम्प बांटे, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एसा करने नहीं दिया।

भाजपा ने धारा तीन सौ सत्तर हटाने , मन्दिर बनाने का वादा किया था। तो पांच साल पूरी लगन से इन मुद्दों को हटाने में लगे रहे और आज भी लगे हैं। सपनों में मन्दिर बनाते रहे। आतंकवाद मिटाने का वादा किया था तो आतंकवादियों को अफ़गानिस्तान तक छोड के भी आये थे। लेकिन नासमझ जनता वादे की पक्की भाजपा को समझ ही नहीं पायी।

वैसे केवल भाजपा ही नहीं अन्य पार्टियां भी वादा करके पूरी तरह से निभाती रही हैं। कांग्रेस को ही देखिये। गरीबी मिटाने का वादा किया था तो आलू प्याज मंहगे करके गरीबों को मिटाने की पूरी कोशिश कर रही है। कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ का वादा किया था तो आम आदमी कांग्रेस के हाथ को अपने गाल पर जरूर महसूस कर रहा है।

दिल्ली को हांगकांग बनाने का वादा किया था तो दिल्ली को उससे भी आगे, स्वर्ग बना दिया है। और ब्लू लाइन बसों द्वारा दिल्ली वासियों को स्वर्गवासी बना रही है। किसानों के जीवन स्तर को उंचा उठाने का वादा किया था तो अब तक इतने किसान ऊपर उठ चुके हैं, जितने पहले कभी नहीं उठे थे। आम जनता को गेहूं चावल भले ना मिले परमाणु ऊर्जा दिलाने के लिये जी जान लगा रखी है।

वाम मोर्चा वाले हमेशा गरीबों और किसानों की भलाई का वादा करते रहते हैं, तो सिंगूर में किसानों पर गोली चलवाकर, गरीबों, किसानों को खेती के बोझ और दुनिया के दुख से मुक्त कर रहे हैं। बसपा ने रोजगार सृजित करने का वादा किया था तो अठारह हजार पुलिस कर्मियों को बरखास्त कर के जांच समितियों में लोगों को  रोजगार दे रही है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कार्यकाल समाप्त होने पर सभी भ्रष्ट मंत्रियों को निकाल दिया। ताकि नए लोगों को मौका मिल सके भ्रष्टाचार मिटाने का। कानून ब्यवस्था सुधारने के लिए डी आई जी तक को पागल कर के अस्पताल भिजवा दिया।

अब अगर बाकी पार्टीयों और उनके नेताओं के वादे पर खरा उतरने के उपरोक्त उदाहरणों को देखा जाये तो कांग्रेस को वादा तोडने का दोषी जरूर माना जायेगा। बेचारी, नादान, निर्दोष और वादों पर खरा उतरने वाली जनता के साथ एसी वादाखिलाफ़ी !


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